बगहा (नीरज मिश्रा )
बगहा के वाल्मीकि नगर से निकलने वाला दोन नहर और सड़क भी बनाया गया है। यह सड़क वाल्मीकि नगर और हर्नाटांड़ के आसपास के क्षेत्रों को भैरोगंज, रामनगर, नरकटियागंज से होते हुए रक्सौल तक को जोड़ता है। इस नहर के रास्ते एक बड़ी आबादी को सुलभ यातायात का एक सुविधा मिला है। लेकिन सड़क के साथ बने पुल अब जर्जर होने लगे हैं। इसके बावजूद भी भारी वाहन गाड़ियां जा रही है। कभी भी कोई बड़ा हादसा यहां हो सकता है।
इसमें जड़ार नहर के पास का पुल काफी जर्जर हो गया है। यह पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भारी वाहन का पुल से गुजरने पर पुल हिलने लगता है । उनके द्वारा कई बार भारी वाहनों को आने – जाने से रोका जाता है। लेकिन उन्हें नजर अंदाज कर भारी वाहनों का आना जाना लगा हुआ है। जिसके कारण कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
दीवार पर लिखी गई चेतावनी।
विभाग की ओर से लिखा गया है चेतावनी
यह फूल काफी जर्जर हो चुका है। विभाग के लोग अपनी जिम्मेवारी उतारने के लिए पुल के एक किनारे भारी वाहन का प्रतिबंध लगा दिया है। विभाग ने चेतावनी में लिखा है कि यह पुल क्षतिग्रस्त है इस पर भारी वाहन न ले जाएं।
पर्यटन की दृष्टि से भी यह सड़क जरूरी
भैरोगंज, रामनगर, नरकटियागंज, रक्सौल समेत दर्जनों शहर के लोग VTR में घूमने के लिए आते हैं। यह सड़क उन पर्यटकों के लिए काफी सुविधाजनक होता है। ऐसे में पुल ध्वस्त होने के बाद इन जगहों से आने वाले लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
भारत-नेपाल के बीच वर्ष 1959 में एक समझौता हुआ था। समझौता के इस परियोजना के अन्तर्गत गंडक नदी पर त्रिवेनी नहर हेड रेगुलेटर के नीचे बिहार के वाल्मीकि नगर मे बैराज बनाया गया।
इसके बाद चार मई वर्ष 1964 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू ने नेपाल के राजा महेंद्र वीर विक्रम शाह की उपस्थिति में वाल्मीकि नगर बैराज का शिलान्यास किया गया। करीब पांच वर्षों तक चले निर्माण कार्य के बाद वाल्मीकि नगर का बैराज वर्ष 1969-70 बनकर तैयार हो गया। इसी के साथ ही दोन नहर पर पुल का भी निर्माण कराया गया।