यह नदी भीषण बरसात मे अपना रौद्र रूप धारण कर क्षेत्रीय किसानो को बाढ़ की विभीषिका मे धकेल कर उनकी खरीफ की फसल को नष्ट करके दाने दाने कै लिए मोहताज कर देती थी | मीलों फैला जल एक बड़ी नदी जल प्लावन का भीषण दृश्य उपस्थित करता था | धान और बाजरे की खेती पर कहर बनकर टूटने वाली यह नदी धीरे धीरे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर होती गयी कारण बरसात बनी| वर्षा कम हुई, बाढ़ बंद हो गयी धीरे धीरे किसान नदी की छाती चीरता हुआ उसके वजूद को मिटाने पर अमादा हो गया | अब वह नदी के सीने मे घुस कर धान की अच्छी खेती करने लगा |
सरकार ने इस ऐतिहासिक नदी के कायाकल्प का विचार कर सदा नीरा बनाने के लिए खुदाई कर गहरी करण किया जा रहा है ऐसा सुनने मे आया है कि कि खुदाई के बाद इसके तटबंध को सुरक्षित कर सुंदर पेड़ो से सुसज्जित किया जायेगा तथा नहरों का फालतू पानी से इसे जोड़कर सदा प्रवाहमय बनाया जायेगा |
इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि इस नदी का अस्तित्व त्रेता युग मे राम के समय विद्यमान था|
Please follow and like us: