समाज जागरण
स्मार्ट सिटी नोएडा में जहाँ एक तरफ स्वच्छता है वही दूसरी तरफ भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है। भ्रष्टाचार मुक्त भारत और भ्रष्टाटार मुक्त यूपी के दावा करने वाले बाबा बुल्डोजर भी जिला गौतमबुद्धनगर के मामले में बुल्डोजर की खामोशी अपने आप में सवाल खड़ा करता है। जहाँ पर माननीय उच्चतम न्यायालय के टिपण्णी के बाद भी तीनो प्राधिकरण जस की तस बना हुआ है, न तो कोई एक्शन न कोई रिएक्शन। सीएजी रिपोर्ट पर तो लगता है जैसे कि राजनीतिक समझौता हो चुका हो।
जिला गौतमबुद्धनगर के तीनों प्राधिकरण में भ्रष्टाचार के अंबार लगे हुए है। माननीय न्यायालय के टिपण्णी के बाद भी इस पर किसी पर कोई फर्क नही पड़ा है। माननीय न्यायालय नें टवीन टावर के मामले में एक आदेश पास करते हुए कहा था कि नोएडा प्राधिकरण के आंख, कान और नाक से ही नही बल्कि चेहरे से भी भ्रष्टाचार टपकता है। हालांकि यह किसी विशेष व्यक्ति के बारे में नही था, यही कारण है कि न तो सरकार पर इसका फर्क पड़ा है और नही तो प्राधिकरण पर।
सरकार के तबादले के आदेश के बावजूद जिला के तीनों प्राधिकरण के कुर्सी छोड़ने को तैयार नही है अधिकारी और अफसर।
हाल ही में 15 जुलाई 2021 और फिर 22 अक्टुबर 2021 को दो तबादले आदेश जारी किए। जिनमें औद्योगिक विकास विभाग के संयुक्त सचिव अनिल कुमार ने तत्काल नये तैनाती स्थल पर कार्य ग्रहण करने का आदेश मीना भार्गव को दिया। जबकि 9 नंबर को उन्हे कार्य से मुक्त कर दिया गया और 3 दिनों के अन्दर में यूपीएसआईडीए ज्वाइन करने का आदेश जारी किया। आखिर इतने समय ट्रांसफर और पोस्टिंग में क्यो लगा।
बता दे कि यह मामला अकेला नही है जिसको हम उदाहरण बना ले। तीनों प्राधिकरण में वर्षो से जमें है अधिकारी और अफसर लेकिन उनका तबादला तक नही किया जा रहा है। टवीन टावर के मामले में योगी सरकार नें आनन फानन में एक जांच कमेटी बिठाकर निश्चित समय में जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा। जांच अधिकारी नें तत्परता दिखाते हुए एक सप्ताह में रिपोर्ट भी योगी सरकार के हवाले कर दिया। लेकिन आज तक उस रिपोर्ट का क्या हुआ? अगर सही से जांच नही किया गया को पुन:जांच करवाना के लिए आदेशित किया जाना चाहिए लेकिन ऐसा नही हुआ। जांच रिपोर्ट का निष्कर्ष भी ढाक के तीन पात निकला।
क्या इतना बड़ा बिल्डिग 24 मंजिल के बजाय 40 मंजिल बना दिया गया और प्राधिकरण के प्लानिग और फाइनेंस वालों को कानों कान पता नही चला ? इनके गलतियों का खामियाजो 600 से ज्यादा इन्वेस्टर्स पर पड़ा है। जो दस साल से पोजिशन मिलने के लिए इंतजार कर रहे है। शायद 10-20 साल उनको और इंतजार करना होगा।
नोएडा शहर के वरिष्ठ नागरिक व अधिवक्ता श्री अनिल के गर्ग जो कि समय समय पर घर खरीदार के पक्ष मे और भ्रष्टाचार पर कड़ा एतराज करते रहे है। उन्होनें कई बार पत्र के माध्यम से सरकार को अवगत कराना चाहा। बता दे कि मौलिक भारत नें साल 2019 में 300 पेज के एक विस्तृत रिपोर्ट पत्र के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, माननीय सुप्रिम कोर्ट यूपी सरकार को जिला गौतमबुद्धनगर में बड़े पैमाने पर हुआ जमीन घोटाला से अवगत कराया। जिस पर महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा अनुमोदन करते हुए यूपी सरकार को भेजा गया था और मामले की जांच और कार्यवाही को लेकर मौलिक भारत को समय समय पर अवगत कराने के लिए कहा गया। लेकिन आज तक न तो कोई कार्यवाही हुई है न तो रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी गई है।
नोएडा में 3 लाख से ज्यादा घर खरीदार अपने ही घर के भूख हड़ताल करने के लिए मजबूर है। किसी को दशकों से घर नही मिला है तो किसी को घर मिलने के बाद रजिस्ट्री नही किया जा रहा है। कही मूल-भूत सुविधाओं को लेकर घर खरीदार और बिल्डर के बीच टकराव और फिर बिल्डर के बाउण्सर के द्वारा घर खरीदारों की पीटाई आम बात है। सरकार नये नये नियम तो लेकर आती है लेकिन वह सिर्फ और सिर्फ घर खरीदारों के जेब खाली करने के लिए जबकि बिल्डर पर प्राधिकरण और सरकार के हजारों करोड़ की बकाया है।
मकान की रजिस्ट्री नही की जा सकती है क्योंकि बिल्डर नें न तो प्राधिकरण को जमीन का पैसा दिया है और नही तो सुरक्षा मानक को पूरा करते हुए एनओसी लिया है।
इस मामले मे माननीय सुप्रिम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस श्री रंजन गोगोई के द्वारा श्री अनिल के गर्ग के टवीटर पर किए गए रिप्लाई बहुत ही महत्वपूर्ण है। श्री गोगोई ने लिखा है : नोएडा प्राधिकरण एक लेबर सोसायटी 1860 है न कि एक 1973 की मिनिस्ट्री आफ होम अर्वन डेवलेपमेंट आर्थारिटी और 1976 की यूपीसीडा ।