नोए़डा समाज जागरण 30 सितंबर 2021
नोएडा उत्तर प्रदेश के आर्थिक राजधानी और देश के 25वें सबसे ज्यादा स्मार्ट शहर है। आर्थिक राजधानी होने के कारण विभिन्न वर्ग और व्यवसाय के लोग आकर यहाँ बसते है औऱ कुछ न कुछ कार्य करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करतेे है। लेकिन स्मार्ट सिटी में भले ही झुग्गी झोपड़ी रात दुनी और दिन चौगुनी के रफ्तार से बढ़ रहा हो लेकिन सड़क किनारे कारोबार करने वाले छोटे-छोटे व्यवसायी को प्राधिकरण और पुलिस के हाथ प्रताड़ित होना पड़ता है।
ऐसे ही एक वर्ग है कुम्हार की। भारत के सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाते प्रजापति समाज को साल भर दिवाली आने का इंतजार रहता है। क्योंकि दिवाली के समय में ही उनका मिट्टी का दीया और बर्तन बिकते है। लेकिन जबसे चाईना के माल बाजार में उतरा है उनका व्यवसाय़ जो लगभग खत्म सा हो गया है। लेकिन जबसे देश में मोदी सरकार और प्रदेश में योगी सरकार नें कमान संभाला है देश के पारंपरिक व्यवसाय को आगे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन धरातल पर उतरना उतना संभव नही हो पाया है जितना कि बताया जा रहा है। सरकारें जो करती है वह ज्यादातर कागजों में छपे और लिखे होते है उसका वास्तविकता से कोई लेना देना नही है।
कारण लोग मिट्टी के वर्तन के बजाय प्लास्टिक खरीदना ज्यादा पसंद करते है। थोड़े बहुत लोग खरीदना भी चाहते है तो उनके सामने समस्या है कि कहाँ से खरीदे। क्योंकि किसी मार्केट में मिट्टी के वर्तन बिकते नही है और सड़क किनारे पुलिस और प्राधिकरण के लोग इन्हे बैठने नही देते है। जिसके कारण कुम्हारों के साल भर के मेहनत यू ही बर्बाद हो जाते है। जाहिर सी बात है जब इनकों सड़क किनारे नही बैठने दिया जायेगा तो इन लोगों के पास में इतने पैसे नही है कि नोएडा के जीआईपी में अपना दुकान लगाये। ऐसे तो आमतौर पर नोएडा और दिल्ली में काफी ज्यादा कुम्हार जो मिट्टी के बर्तन बनाते है सड़क के किनारे ही अपना आशियाना बना लेते है और वही रहते है।
भारत से कई व्यवसाय जो कि विरासत में मिला था उसका परिवर्तन हो चुका है। कारण जब उनको उस में लाभ नही होगा तो छोड़ेंगें। लेकिन प्रजापति समाज नें अपने पुरुखों के इस व्यवसायिक विरासत को संभाल रखा है। अब हम सबका कर्तव्य है कि इनका साथ दे और इस दिवाली पर जमकर दीया और मिट्टी के वर्तन खरीदे। पुलिस और प्राधिकरण से विशेष आग्रह है कि अगर रास्ता बाधित न हो रहा हो तो इस स्मार्ट सिटी में इनकों भी भरण पोषण करने लायक कमाने लिए दीपावली तक इनको किसी प्रकार से परेशान न करे।
क्योंकि भले ही नोएडा सेक्टर 27 के वेंडरों को बाटेनिकल पर जगह दे दिया गया है लेकिन आज भी बाजार तो सेक्टर 27 के पटरी पर ही लगाये जा रहे है। जब स्मार्ट सिटी के स्मार्ट सेक्टर 18 के सामने सेक्टर 27 दुकानों के बाहर लगे रेहड़ी पटरी खोमचे से शहर की खूबसुरती में चार चांद लगा रहे है तो फिर थोड़ा सा जगह इन मिट्टी के बर्तन वालों को भी देने में क्या हर्ज है। देश के पैसा देश में रहे। चाईनीज लाईट बेचने वालों के बजाय मिट्टी के दीये बेचने वालों को प्राथमिकता मिले तो हमारा देश आगे बढ़ेगा।