शराबबंदी के खिलाफ सड़क पर उतरे लोग
दैनिक समाज जागरण
केशव कुमार
औरंगाबाद :-बिहार में कानूनी रूप से पूर्ण शराबबंदी लागू है। शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब की बिक्री कम होने के बजाय होम डिलवरी के माध्यम से शराब की बिक्री पहले से भी ज्यादा बढ़ गयी है। शराबबंदी कानून लाने से पहले सरकार के स्तर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया ताकि लोगों का शराब का पुराना लत छूट सके। शराबबंदी कानून के पहले जैसे लोग शराब पीते थे वैसे ही आज भी शराब की बिक्री जारी है। परंतु शराबबंदी कानून लागू होने पर शराब की तस्करी बढ़ गयी है। शराब के नाम पर बाजार में जहर का ब्यापार बढ़ गया है। आये दिन जहरीरली शराब के सेवन से लोगों की मृत्यु होने का समाचार प्राप्त हो रहा है। ऐसा ही घटना अभी हाल-फिलहाल में औरंगाबाद जिला के मदनपुर थानान्तर्गत विभिन्न गाँवों में घट रही है। पिछले 19 मई से लगातार अब तक कई लोगों की जान जहरीली शराब से हो चुकी है। जहरीली शराब से लोगों की हो रही मृत्यु की सूचना पर स्वराज पार्टी का 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने क्षेत्र का दौरा किया और प्रभावित परिजनों से मुलाकात कर घटना की जानकारी लिया। प्रभावित गाँवों को दौरा करने एवं प्रभावित परिजनों से मिलने पर उनकी चीख-पुकार हृदय-विदारक लगी। लोगों ने बताया कि जहरीली शराब से अब तक कुल 21 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और अनेक लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्त्ती है जिनमें से कई लोग अपने आँख की दृष्टि खो चुके है। क्षेत्र की जनता एवं स्थानीय नेताओं का आरोप है कि जहरीली शराब के सेवन से मौत का समाचार प्रशासन दबाने में लगा हुआ है। जहरीली शराब से मौत का नियमतः पोस्मार्टम होना चाहिये था परंतु पुलिस-प्रशासन पोस्टमार्टम कराने के बजाये अपनी नाकामी छुपाने के ख्याल से लोगों को डरा-धमकाकर उनके लाश को जलवा दिया ताकि ये खबर किसी भी तरह दब जाये। जहरीली शराब की बिक्री पर रोक लगाने और जहरीली शराब के सेवन से मरे लोगों के प्रति सहानुभूति रखने एवं उनके ईलाज में सहयोग करने के बजाय पुलिस-प्रशासन इस पूरे मामलें का लीपापोती करने में लगा हुआ है। इस घटना के विरोध में पीड़ित परिवार के साथ स्वराज पार्टी ने आज औरंगाबाद समाहरणालय का घेराव करते हुए महामहिम राज्यपाल के नामम से ज्ञापन सौंपा कि इस घटना की न्यायिक जाँच एवं करायी जाये और पीडिंत परिवार को 10-10 लाख रूपये मुआवजा के साथ-साथ पीड़ित परिवार से 1-1 सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाये ताकि पीड़ित परिवार को भरण-पोषण हो सके।