समाज जागरण नोएडा
नोएडा प्राधिकरण और उसके सर्किल आफिस में कार्यवाही के नाम पर सिर्फ पत्र को भेजना और पत्र को रिसिव करना है। बहुत हंगामा होने पर अभियंता पूरी टीम के साथ मौके पर पहुँचते तो है लेकिन बिना काम किए ही लौट जाते है। कारण कुछ भी हो सकते है, राजनीतिक पार्टियों का दबाव या फिर मिलीभगत। यही कारण है कि नोएडा सेक्टर 38A में वेंडिंग जोन बनाये जाने के कई महीनों बाद भी नोएडा सेक्टर 27 से वेंडर का जमावड़ा कम नही हुआ।
18 जनवरी को प्राधिकरण के सीओ श्रीमती रितु महेश्वरी के आदेश के बाद भी यहाँ से अतिक्रमण का नही हटना और नये वेंडिंग जोन में इनको शिफ्ट नही किया जाना प्राधिकरण और उसके अभियंताओं के कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है। आखिरी कौन सी मजबूरी है जो इनके हाथ को बांध रखा है। जब नये वेंडिंग जोन बना दिया गया है, और माननीय सांसद के कर कमलों से इसका उद्घाटन भी कर दिया गया है, फिर भी नये वेंडिंग जोन मे अंधेरा क्यों है? 19 जनवरी को अतिक्रमण के संबंध में स्वयं टीबीसी मेंबर को पत्र लिखा और 27 जनवरी तक सभी वेंडर को शिफट होने के लिए कहा। शिफ्ट नही होने पर लाइसेंस कैसिल करने की जिक्र भी किया, लेकिन 11 फरवरी होने के बाद भी मामला जस का तस बना हुआ है।
जिस अतिक्रमण का हवाला देकर पत्र लिखा गया था उस पर कार्यवाही तो छोडिये जनाब, सेक्टर 27 के पुलिस चौकी से सटाकर ठेली पटरी लगाये जा रहे है। एक तरफ तो ई-रिक्शा की जमावड़ा और दूसरी तरफ बीच सड़क पर खड़ी ठेली पटरी। यातायात पुलिस के जवान यहाँ खड़ा होकर भले ही ई-रिक्शा के टायर पंचर करने के लिए दौड़ते हो, ई-रिक्शा वालों को गाली देते हो लेकिन वहाँ पर खड़ी ठेली पटरी को अनदेखा कर जाते है। करे भी क्यों नही ठेली पटरी में सिर्फ टायर ही लगे होते है जो कि पंचर नही हो सकते। फिर वहाँ पर खड़ा है बेचारा तो चाय पानी का जुगाड़ भी तो होता ही होगा।
नोएडा सेक्टर 27 की बात करे तो यहाँ से वेंडर को हटाना मुमकीन ही नही नामुमकी भी है। इसका एक कारण यह भी है कि ज्यादातर ठेली पटरी या बाहर खड़े कपड़े या दूसरे सामान बेचने वाले दुकानदार के ही यहाँ काम करने वाले लोग है। सूत्रो से यह भी ज्ञात हुआ है कि यह लोग दुकानदार को किराया देते है। यहाँ पर ग्राहक भी काफी आते है इसलिए बिक्री भी अच्छे हो जाते है। भीड़ इतनी की कई बार मेट्रो से निकलने वाले सवारियों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाते है। नये वेंडिंग जोन में ग्राहक को आने मे समय लगेगा, आखिर इतना समय किसके पास है कि चलता फिरता दुकान बंद करके नये वेंडिंग जोन में महीनों खाली इंतजार करें। ऐसे वेंडिंग जोन का मामला भी किसी टवीन टावर से कम नही है।