नेकी और शराफत
इस्लाम धर्म के प्रचार प्रसार के लिए दो मुस्लिम व्यक्ति अरब देश के नज्द नामक कस्बे मे गए| उन दोनो अरब मे इस्लाम धर्म का काफी विरोधहो रहा था और मुसलमानों पर तरह तरह के अत्याचार किए जा रहे थे |
ऐसी स्थिति मे नज्द के सरदार हारिस ने दोनो मस्लिम व्यक्तियों कों कैद करके अपने घर के एक कमरेमे जंजीरों से जकड़ दिया| तब इस्लाम धर्म के प्रचार प्रसार करने वाले लोगो को कठोर यातनाए दी जाती थी | उनसे कहा जाता था कि इस्लाम धर्म छोड़ दो या फिर मौत के लिए तैयार रहो | उन दोनों मुस्लिम व्यक्तिय़ो ने इस्लाम धर्म छोड़ने के बजाय मौत को चुना और अपनी मौत का इंतजार करने लगे |
एक दिन सरदार हारिस का चार वर्षीय बेटा खेलते –खेलते उन मुस्लम कैदियों के कमरे मे पहुंच गया | उसके हाथ मे एक छोटा सा चाकू था जिससे वह खेल रहा था उन लोगों ने बच्चे को अपने पास बुलाया और उसके हाथ से चाकू ले लिए| फिर उसे अपनी गोद मे बिठाकर उससे बातें करनें लगे | तभी बच्चे की मां भी वहा आ गई अपने बेटे को कैदियों के पास देखकर वह घबरा गई और हाथ जोड़कर उसने बोली ,” ऐ अल्लाह को मानने वाले मुस्लमानो ! मेरे बेटे का कत्ल न करना | मेहरबानी करके इसे छोड़ दो|”
यह सुनकर सुएब नामक मुसलमान कैदी बोला ,” ऐ मोहतरमा ! तुम ड़रो नही इस बच्चे से हमारी कोई दुश्मनी नही है |वैसे तो तुम्हारे पति ने हमे मौत की सजा दी है परंतु हम इस्लाम को मानने वाले और अल्लाह से ड़रने वाले लोग है | हमारे दिलों मासूम बच्चों और औरतों पर रहम करो |”
यह कहकर उन्होंने बच्चे को उसकी मां के हवाले कर दिया वह औरत उन्हे दुआए देती हुई चली गई कहा जाता है कि बाद मे बच्चे की मां के विरोध के बावजूद उन दोनो मुसलमान कैदियों का कत्ल कर दिया गया | लेकिन वे एक औरत के दिल मे नेकी और शराफत का चिराग जला गए
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