जब इस बड़े नेता 👤के कहने पर इस्तीफा देने के लिए तैयार हो गए थे पीएम🤨 मोदी
साल 2002 में गुजरात दंगे के बाद वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के कहने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस्तीफा देने के लिए तैयार हो गए थे। पत्रिका साहित्य अमृत में लिखे लेख में खुद आडवाणी ने इस आशय का खुलासा किया है। लेख में आडवाणी ने अयोध्या आंदोलन में भाजपा की भागीदारी और मोदी के इस्तीफे पर दिवंगत पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से अपने मतभेदों को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है। पत्रिका के अटल स्मृति अंक में अपने लेख ‘एक कवि हृदय राजनेता’ में आडवाणी ने लिखा है कि गुजरात दंगे को वाजपेयी खुद के लिए बड़ा बोझ मानते थे।
गोवा कार्यकारिणी में जब वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने इस पर वाजपेयी की राय पूछी तो उन्होंने कहा कि कम से कम मोदी को अपने इस्तीफे की पेशकश तो करनी ही चाहिए थी। मोदी पर पद छोड़ने का दबाव भी पड़ने लगा। इस मुद्दे पर मैंने वाजपेयी से कहा था कि अगर मोदी के इस्तीफे के बाद स्थिति सुधरती है तो इस्तीफा तुरंत लिया जाना चाहिए, मगर मेरा मानना है कि इससे स्थिति सुधरेगी नहीं। आडवाणी ने लिखा है कि हालांकि वह इसके विरोधी थे। मेरा मानना था कि मोदी अपराधी नहीं थे।
बल्कि महज साल भर पहले सीएम बनने वाले मोदी खुद राजनीति के शिकार हो गए थे। ऐसे में उन्हें जटिल सांप्रदायिक स्थिति का शिकार बनाना अन्यायपूर्ण होगा। हालांकि जब मैंने मोदी से कार्यकारिणी की बैठक में इस्तीफा देने का प्रस्ताव रखने पर बात की तो वह तुरंत तैयार हो गए। हालांकि उनके प्रस्ताव रखते ही चारों ओर से इस्तीफा मत दो की गूंज से यह विवाद खत्म हो गया। इसी लेख में आडवाणी ने अयोध्या आंदोलन में भाजपा के शामिल होने पर वाजपेयी से मतभेद की बात स्वीकारी।