टीकाकरण अभियान के साथ साथ आयुर्वेद के माध्यम से सभी भारतीयों को प्रतिरक्षा विकसित करना आवश्यक है” : प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ गुरु मनीष
प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ गुरु मनीष: “सरकार को टीकाकरण अभियान के अलावा कोविड के खिलाफ प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली प्रणाली के रूप में आयुर्वेद को भी बढ़ावा देना चाहिए ”
नॉएडा, 25 मार्च,2021: एक ओर जब भारत नये कोविड 19 स्ट्रेन के प्रसार को रोकने के लिए दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में जुटा है, प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ, गुरु मनीष ने आयुर्वेद का उपयोग करते हुए प्राकृतिक इम्युनिटी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि संक्रमण को दूर रखा जा सके।
प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ, जो ‘शुद्धि आयुर्वेद’ के संस्थापक हैं, जिसका चंडीगढ़ के निकट कॉर्पोरेट मुख्यालय है, और जो ‘राइट टू आयुर्वेदा’ संबंधी एक अखिल भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान के संचालक भी हैं, ने कहा,” टीकाकरण अभियान के बाद भी, सभी भारतीयों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे आयुर्वेद के जरिए प्रतिरक्षा विकसित करें।”
गुरु मनीष ने आगे कहा “मैं टीकाकरण अभियान की सराहना करता हूं, हालांकि सभी भारतीयों को वैक्सीन लगाने में लंबा समय लगेगा, क्योंकि हमारे देश की आबादी 1.3 अरब से अधिक है जो दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। ऐसे में हम सब भारतीयों को सदियों से जांचेपरखे आयुर्वेद द्वारा इम्युनिटी बूस्टिंग प्रोटोकॉल का उपयोग करना चाहिए। इससे लोगों की प्रतिरक्षा में स्वाभाविक रूप से सुधार होगा और टीकाकरण होने तक उन्हें वायरस से बचने में मदद मिलेगी।”
गुरु मनीष ने कहा, “हालांकि टीका वायरस को रोकने में मदद करेगा, लेकिन जब तक हम आयुर्वेद के माध्यम से अपनी प्राकृतिक प्रतिरक्षा को नहीं बढ़ाते, तब तक वायरस को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता।”उन्होंने कहा, “ऐसे देश में जहां आयुर्वेद का जन्म हुआ, सरकार के लिए जरूरी है कि प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली प्रणाली के रूप में आयुर्वेद को बढ़ावा दे, न कि सिर्फ टीकाकरण अभियान चलाये। सिक्के के दोनों पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ”
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारे प्राचीन ग्रंथ चरक संहिता के अनुसार बदलते मौसम के साथ हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली में उतारचढ़ाव होता है, जो कि वर्तमान में देखा भी जा रहा है, क्योंकि मौसम वसंत से गर्मियों में बदल रहा है। यह तब होता है जब हमारा शरीर एक अनुकूलन प्रक्रिया से गुजरता है, जिससे यह रोगजनकों और वायरस के हमलों के प्रति कमजोर हो जाता है। वर्तमान मौसम परिवर्तन में इनसे बचाव की जरूरत है। गुरु मनीष इस चरण में वायरस को दूर करने के लिए आयुर्वेद में प्रस्तावित समाधान प्रदान करते हैं।
गुरु मनीष बताते हैं कि ऋषि चरक के अनुसार, “इस अवधि के दौरान, जिसे ‘संधिकाल’ भी कहा जाता है, यानी जब मौसम बदलता है, आयुर्वेद के अनुसार, हमें 1-2 दिनों के लिए उपवास करना चाहिए, जो शरीर को फिर से जीवंत करने में मदद करेगा, उसकी इम्युनिटी बढ़ाएगा और इसे डिटॉक्सीफाई भी करेगा। उन्होंने कहा कि एक प्राचीन सिद्धांत है ‘लंघन परम औषधम’, अर्थात उपवास सबसे अच्छी दवा है और शुद्धि परम औषधि। या कहें कि शरीर का विषहरण सबसे अच्छी दवा है। इसका उल्लेख हमारे प्राचीन ग्रंथों में प्रामाणिक तरीके से किया गया है।”
गुरु मनीष ने रेखांकित किया कि कोविड युग ने आयुर्वेद के प्रतिरक्षात्मक और उपचारात्मक गुणों को सामने लाने में मदद की है और अब कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए आयुर्वेद प्रोटोकॉल के पालन करने का समय है। उन्होंने कहा कि आयुष काढ़ा, हल्दी मिले गर्म पानी के गरारे और गिलोय की उपयोगिता को सरकार ने भी माना है, हालांकि इन्हें आयुर्वेद चिकित्सकों के मार्गदर्शन में लिया जाना चाहिए।
गुरु मनीष ने आगे कहा, “शुद्धि आयुर्वेद ने गहन शोध के बाद एक अनूठा कॉम्बो बनाया है जो इम्युनिटी को विकसित करने में मदद करता है। कॉम्बो में हमने तीन दवाएं शामिल की हैं -विषहर रस, बत्तीस जड़ी बूटियों वाली चाय और आयुष क्वाथ। विषहर रस में नीम और गिलोय जैसे तत्व होते हैं, जिनमें उच्च एंटीवायरल गुण होते हैं। चाय में 32 औषधीय जड़ी-बूटियां शामिल हैं जैसे कि इलायची, दालचीनी आदि जिनमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और आयुष क्वाथ में तुलसी, काली मिर्च व शुंथी शामिल है जो प्रतिरक्षा बढ़ाने में मदद करती है।”