दूता परिवार की ओर से आप सभी को🎆 होली व धुलण्डी की हार्दिक 🙏शुभकामनाएं🎉
होली भारत के सबसे बड़े प्रमुख त्यौहारों में से एक हैं। देशभर में गुरुवार व शुक्रवार को होली बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। यह त्यौहार पूरे देशभर में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक यह फाल्गुन माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।इसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। इसे बुराई पर विजय की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग व गुलाल लगाकर अपने गले सिकवे दूर करते हैं।
ऐसे में इसे सम्बन्धों का त्यौहार भी कहा जाता है।ढोल की धुन और घरों के लाउड स्पीकरों पर बजते तेज संगीत के साथ एक दूसरे पर रंग और पानी फेंकने का मजा देखते ही बनता है। होली के साथ कई प्राचीन पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं और हर कथा अपने आप में विशेष है।
भगवान शिव व माता पार्वती की कहानी
होली भगवान शिव और पार्वती की पौराणिक कथा का बड़ा महत्व है।कथा में हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो लेकिन शिव अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव पार्वती की सहायता के लिए आते और प्रेम बाण चलाकर भगवान शिव की तपस्या भंग कर देते हैं। शिवजी को उस दौरान बड़ा क्रोध आता है और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं।उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो जाता है।इन सबके बाद शिवजी पार्वती को देखते हैं पार्वती की आराधना सफल हो जाती है और शिवजी उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेते हैं। होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को जला कर सच्चे प्रेम के विजय के उत्सव में मनाया जाता है।
हिरण्यकश्यप की कहानी
दूसरी पौराणिक कथा हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की है। प्राचीन काल में अत्याचारी हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पा लिया था। उसने ब्रह्मा से वरदान में मांगा था कि उसे संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य रात, दिन, पृथ्वी, आकाश, घर, या बाहर मार न सके. वरदान पाते ही वह निरंकुश हो गया। उस दौरान परमात्मा में अटूट विश्वास रखने वाला प्रहलाद उनके पुत्र के रूप में पैदा हुआ। प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उसे भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि प्राप्त थी। हिरण्यकश्यप ने सभी को आदेश दिया था कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे लेकिन प्रहलाद नहीं माना। प्रहलाद के न मानने पर हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने का प्रण लिया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका की मदद से आग में जलाकर मारने की योजना बनाई और होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में जा बैठी। हुआ यूं कि होलिका ही आग में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गया। तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा।
भगवान श्रीकृष्ण की कथा
भगवान श्रीकृष्ण की जिसमें राक्षसी पूतना एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर बालक कृष्ण के पास आती है और उन्हें अपना जहरीला दूध पिला कर मारने की कोशिश की। दूध के साथ साथ बालक कृष्ण ने उसके प्राण भी ले लिये। कहा जाता है कि मृत्यु के पश्चात पूतना का शरीर लुप्त हो गया इसलिए ग्वालों ने उसका पुतला बना कर जला डाला। इसके बाद से मथुरा होली का प्रमुख केन्द्र रहा है। होली का त्योहार राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी से भी जुड़ा हुआ है। वसंत के इस मोहक मौसम में एक दूसरे पर रंग डालना उनकी लीला का एक अंग माना गया है। होली के दिन वृन्दावन राधा और कृष्ण के इसी रंग में डूबा हुआ होता है।