देवता कितने हैं—–
अग्निर्देवता वातो देवता सूर्यो देवता चन्द्रमा देवता वसवो देवता रुद्रा देवता आदित्या देवता मरुतो देवता विश्वेदेवा देवता वृहस्पतिर्देवतेन्द्रों देवता वरुणो देवता।।यजु0 २४/२०।।
हे मनुष्यो ! आठ वसु अर्थात–अग्नि, बायु, जल, आकाश, पृथिवी, सूर्य,चन्द्रमा,और नक्षत्र ये ही संसार के वासास्थान हैं जिनके ही आधार से सारा संसार आधारित है। ग्यारह रुद्र—- पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पांच कर्मेन्द्रियाँ और प्राण—जीवात्मा जिसके निकल जाने के समय भाई बन्धु , मित्रगणादि रोते हैं, इसलिए इन्हें रुद्र कहते हैं। बारह आदित्य अर्थात — महीने—चैत्र, वैसाख,ज्येष्ठ, आषाढ़,श्रावण , भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक , अग्रहन, पौष , माघ, और फाल्गुन। एक विद्वान और एकदेवों का महादेव परमात्मा है , ये तेतीस देवता कहलाते हैं। जो लोग तेतीस करोड़ देवता मानते हैं, उनका कहना सत्य नहीं है।ये जो शब्द कोटि है,यहां इसका अर्थ करोड़ नहीं बल्कि भाँति अथवा प्रकार है। ये भ्रांति दिल से निकाल देनी आवश्यक है। ये ही वैदिक तथ्य है।
देवता कितने हैं—–
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